भोपाल। आंगनबाड़ी, प्राइमरी स्कूल और मदरसों के 85 लाख
बच्चों को 15 जुलाई से स्कूल में दूध मिलेगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से
आर्डर मिलने के बाद एमपी डेयरी फेडरेशन ने दूध पावडर की सप्लाई की तैयारी शुरू कर
दी है। स्कूलों में पहुंचने वाला दूध पांच फ्लेवर में होगा और पानी में मिलते ही
दूध का कलर फ्लेवर के अनुसार हो जाएगा। फेडरेशन पावडर उपलब्ध कराएगा। जिसे गर्म
पानी में मिक्स कर दूध तैयार किया जाएगा। शिक्षकों को इसका प्रशिक्षण दिया गया है।
पावडर पानी में अच्छे से मिक्स होने के बाद यह दूध बच्चों को दिया जाएगा।
मध्यप्रदेश डेयरी फेडरेशन
के मुताबिक सांची ब्रांड दूध से बच्चे को विटामिन ए, डी, केल्सियम, प्रोटीन और
कार्बोहाइट्रेड पर्याप्त मात्रा में मिलेगा। इससे कुपोषण की स्थिति से निपटा जा
सकता है। फेडरेशन पाइनेपल, रोज, स्ट्रॉबैरी, चॉकलेट और इलायची फ्लेवर में दूध
पावडर देगा। पावडर की खासियत यह रहेगी कि पानी में घुलते ही उसका कलर फ्लेवर के
मुताबिक हो जाएगा। इसलिए इस दूध का चाय या अन्य किसी भी दुग्ध उत्पाद में उपयोग
नहीं हो सकेगा। फेडरेशन ने पिछले साल विदिशा जिले की आंगनबाड़ियों में दूध का वितरण किया था। जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। स्कूलों में पहुंचने वाला दूध किस दाम पर खरीदा जाएगा। इसका निर्णय होना अभी शेष है।
आंगनबाड़ी के 50 लाख और
प्राइमरी स्कूलों के 35 लाख बच्चों को सालभर दूध उपलब्ध कराने के लिए 9 हजार
मेट्रिक टन दूध पावडर की जरूरत है। वर्तमान में फेडरेशन 4.50 हजार मेट्रिक टन दूध
पावडर तैयार कर रहा है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के आर्डर के बाद दूध पावडर
का उत्पादन दो गुना करने के प्रयास शुरू हो गए हैं। पावडर बनाने के प्लांट
ग्वालियर और इंदौर में हैं, जो प्रतिदिन 20 मेट्रिक टन पावडर तैयार करते हैं। मप्र डेयरी फेडरेशन 15 जुलाई से दूध
वितरण की बात कर रहा है और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने एक जुलाई से स्कूलों
में दूध देने की तैयारी किए बैठा है। फेडरेशन और विभाग में समन्वय की कमी के चलते
सभी जिलों में सीईओ जिला पंचायत ने एक जुलाई से बच्चों को दूध देने के निर्देश
जारी कर दिए हैं। राजधानी के स्कूलों में एक दिन पहले ही आदेश आए हैं, लेकिन
शिक्षक इसे लेकर परेशान हैं कि दूध पावडर कैसे आएगा और कौन लाएगा।
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